यह निश्चित है कि बिना किसी कष्ट के सत्य बोल सकने के लिए सबसे अच्छा तरीका यह है कि हम अपना व्यवहार सदा इस प्रकार रखें कि हमें अपना कोई भी कार्य छुपाना न पड़े। और इसके लिए प्रति क्षण हमें यह याद रखना चाहिये कि हम भगवान के सम्मुख है।
कारण, वचन की सच्चाई कार्य की सच्चाई की भी मांग करती है; और सच्चा मनुष्य वह है जो अपने वचन से समस्त असत्य और कर्म से समस्त पाखण्ड को निकाल बाहर करता है।
संदर्भ : पहले की बातें
भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…