रूपांतर के लिए भगवान को निरंतर याद रखना अनिवार्य है ।
और जब परम प्रेम की अभिव्यक्ति का दिन आयेगा, परम प्रेम के पारदर्शक, सघन अवतरण का दिन आयेगा तो वस्तुतः वही रूपान्तर का क्षण होगा। क्योंकि कोई चीज़ उसका प्रतिरोध न कर सकेगी ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…