श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

यहाँ रहना आसान नहीं हैं

बाहरी रंग-रूप से निर्णय न करो और लोग जो कहते हैं उस पर विश्वास न करो, क्योंकि ये दोनों चीज़ें भटकाने वाली हैं। लेकिन अगर तुम्हें जाना ज़रूरी मालूम होता है, तो निस्सन्देह तुम जा सकते हो और बाहरी दृष्टिकोण से शायद यह अधिक बुद्धिमत्तापूर्ण भी होगा।

और फिर, यहाँ रहना आसान नहीं है। आश्रम में कोई बाहरी अनुशासन या दिखायी देने वाली परीक्षा नहीं हैं। लेकिन आंतरिक परीक्षा निरन्तर और कठोर होती है। यहाँ रहने – लायक होने के लिए तुम्हें अपनी अभीप्सा  में बहुत सच्चा होना चाहिये ताकि तुम समस्त अहंकार को पार कर सको और मिथ्याभिमान को जीत सको।

पूर्ण समर्पण की बाहर से माँग नहीं की जाती, लेकिन जो लोग यहाँ बने रहना चाहते हैं उनके लिए यह अनिवार्य है और बहुत-सी चीज़ें समर्पण की सच्चाई की परीक्षा करने के लिए आती हैं। फिर भी, जो उनके लिए अभीप्सा हैं उनके लिए ‘कृपा’ और सहायता हमेशा मौजूद रहती हैं और उन्हें श्रद्धा-विश्वास के साथ ग्रहण किया जाये तो उनकी शक्ति असीम होती है।

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-१)

शेयर कीजिये

नए आलेख

आध्यात्मिक जीवन की तैयारी

"आध्यात्मिक जीवन की तैयारी करने के लिए किस प्रारम्भिक गुण का विकास करना चाहिये?" इसे…

% दिन पहले

उदार विचार

मैंने अभी कहा था कि हम अपने बारे में बड़े उदार विचार रखते हैं और…

% दिन पहले

शुद्धि मुक्ति की शर्त है

शुद्धि मुक्ति की शर्त है। समस्त शुद्धीकरण एक छुटकारा है, एक उद्धार है; क्योंकि यह…

% दिन पहले

श्रीअरविंद का प्रकाश

मैं मन में श्रीअरविंद के प्रकाश को कैसे ग्रहण कर सकता हूँ ? अगर तुम…

% दिन पहले

भक्तिमार्ग का प्रथम पग

...पूजा भक्तिमार्ग का प्रथम पग मात्र है। जहां बाह्य पुजा आंतरिक आराधना में परिवर्तित हो…

% दिन पहले

क्या होगा

एक परम चेतना है जो अभिव्यक्ति पर शासन करती हैं। निश्चय ही उसकी बुद्धि हमारी…

% दिन पहले