यह रहा एक उपाय उन लोगों के लिए जो मिथ्यात्व से पिंड छुड़ाने के लिए उत्सुक हैं।
अपने-आपको खुश करने की कोशिश न करो, औरों को खुश करने की कोशिश भी न करो । केवल प्रभु को खुश करने की कोशिश करो ।
क्योंकि केवल वे ही सत्य हैं । हम सब, हममें से हर एक, भौतिक शरीर में मनुष्य, प्रभु को छिपाने वाला मिथ्यात्व का लबादा है ।
चूंकि वे ही अपने प्रति सच्चे हैं इसलिए हमें उन्हीं पर एकाग्र होना चाहिये, मिथ्यात्व के लबादों पर नहीं ।
सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…