श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

मिथ्यात्व को जीतने की पहली शर्त

अतिमानस अपने-आपमें केवल ‘सत्य’ ही नहीं, बल्कि मिथ्यात्व का नितान्त निषेध है। अतिमानस ऐसी चेतना में कभी नहीं उतरेगा, प्रतिष्ठित और अभिव्यक्त न होगा जो मिथ्यात्व को आश्रय देती हो।

स्वभावत: मिथ्यात्व को जीतने की पहली शर्त है, झूठ न बोलना, यद्यपि यह केवल प्रारम्भिक चरण ही है। अगर लक्ष्य को पाना है तो सत्ता में और उसकी सब गतिविधियों में निरपेक्ष, समग्र निष्कपटता को स्थापित करना ही होगा ।

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)

शेयर कीजिये

नए आलेख

रूपांतर का मार्ग

भगवान के प्रति आज्ञाकारिता में सरलता के साथ सच्चे रहो - यह तुम्हें रूपांतर के…

% दिन पहले

सच्चा ध्यान

सच्चा ध्यान क्या है ? वह भागवत उपस्थिती पर संकल्प के साथ सक्रिय रूप से…

% दिन पहले

भगवान से दूरी ?

स्वयं मुझे यह अनुभव है कि तुम शारीरिक रूप से, अपने हाथों से काम करते…

% दिन पहले

कार्य के प्रति मनोभाव

अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…

% दिन पहले

चेतना का परिवर्तन

मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…

% दिन पहले

जीवन उत्सव

यदि सचमुच में हम, ठीक से जान सकें जीवन के उत्सव के हर विवरण को,…

% दिन पहले