मन की संकीर्णता से प्रेम करने का क्या तात्पर्य है?
लोग संकीर्ण रहना पसन्द करते हैं; वे उनके अपने सीमित विचारों, भावनाओं, मतों, रुचियों से चिपके रहते हैं और अगर कोई यह कोशिश
करे कि वे अधिक व्यापक रूप से सोच सकें तो वे विक्षुब्ध हो उठते हैं, नाराज़ हो जाते हैं और शंका से भर जाते हैं-इसे कहते हैं मन की
संकीर्णता से प्रेम करना।
संदर्भ : योग के तत्व
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
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