आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भारत जगत में सबसे आगे का देश है। आध्यात्मिक उदाहरण प्रस्तुत करना ही उसका मिशन है। श्रीअरविंद जगत को यही सिखाने के लिए धरती पर आये थे।
यह तथ्य इतना स्पष्ट है कि यहाँ का एक भोला और अज्ञानी कृषक भी, अपने हृदय में, यूरोप के बुद्धिजीवियों की अपेक्षा भगवान के कही अधिक निकट है ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-१)
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…