देश को कठिनाई से उबारने के लिए क्या करना चाहिये?
श्रीअरविंद ने सभी मुश्किलों को पहले ही देख लिया था और उनका समाधान दे दिया है। हम उनकी शताब्दी के निकट पहुँच रहे हैं; ऐसा लगता है मानों सब कुछ पहले से व्यवस्थित हो, समझ रहे हो , मानों, भागवत रूप से व्यवस्थित हो, क्योंकि यह सारे देश में उनको शिक्षा को फैलाने का एक विलक्षण सुअवसर होगा : उनकी शिक्षा को, व्यवहारिक शिक्षा को, भारत के बारें में उनकी शिक्षा को, भारत को किस तरह संगठित किया जाएं, भारत के ‘मिशन’ को … उनकी शिक्षा को सारे देश में फैलाया जा सकता हैं – केवल यही सब कठिनाइयों पर प्रकाश डाल सकता है।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…