… यदि किसी में बिलकुल ही कोई ज्ञान न हो पर भागवत कृपा पर भरोसा हो, यदि उसमें यह श्रद्धा हो कि इस जगत में भागवत “कृपा” जैसी कोई वस्तु है, और यह कोई वस्तु किसी प्रार्थना, किसी अभीप्सा, किसी पुकार का उत्तर दे सकती है, तो, अपनी मानसिक रचना बनाने के बाद, यदि कोई उसे ‘कृपा’ को अर्पित कर दे और उस शक्ति में अपना विश्वास रखे, उससे हस्तक्षेप करने की याचना करे और यह विश्वास बनाये रखे कि वह हस्तक्षेप करेगी, तो निस्संदेह उसे सफलता पाने का अवसर मिलेगा।
कोशिश करो, और तुम स्पष्ट रूप में उसका परिणाम देखोगे ।
संदर्भ : प्रश्न और उत्तर १९५६
क्षण- भर के लिए भी यह विश्वास करने में न हिचकिचाओ कि श्रीअरविन्द नें परिवर्तन…
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…