जब हम पूर्णता की मात्रा को प्राप्त हो जायेंगे, जो कि हमारा लक्ष्य है , तब हम देखेंगे कि जिस सत्य की खोज हम कर रहे हैं वह चार प्रधान चीजों सें बना है- प्रेम, ज्ञान, शक्ति और सौंदर्य । सत्य के ये चारों रूप अपने-आप हमारी सत्ता के अंदर अभिव्यक्त होंगे । चैत्य पुरुष होगा सच्चे और शुद्ध प्रेम का वाहन, मन होगा अभ्रांत ज्ञान का यंत्र, प्राण प्रकट करेगा एक अदम्य शक्ति और सामर्थ्य; और शरीर बन जायेगा पूर्ण सौंदर्य और पूर्ण सामंजस्य की प्रतिमा ।
संदर्भ : शिक्षा के ऊपर
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…