मुझे लगता है कि परीक्षा यह जानने का दक़ियानूसी और व्यर्थ उपाय है कि विद्यार्थी समझदार, इच्छुक और एकाग्र हैं या नहीं। यदि स्मरण-शक्ति अच्छी हो तो एक मूढ़, यांत्रिक मन भी परीक्षा में अच्छी तरह से उत्तीर्ण हो सकता है और निश्चय ही भावी मनुष्य के लिए इन गुणों की जरूरत नहीं। पुरानी आदतों के प्रति सहिष्णुता के कारण मैं इस बात के लिए राजी हो गयी थी कि जो परीक्षा जारी रखना चाहें वे रख सकते हैं। लेकिन मैं आशा करती हूँ कि आगे चलकर इस सुविधा की जरूरत न रहेगी ।
संदर्भ : शिक्षा के ऊपर
जब एक बार चेतनाएं एकाकी चेतना से पृथक् हो गयीं तब अवश्यम्भावी रूप से वे…
अपने अहंकार को निकाल फेंकना, उसे एक रद्दी कपड़े की तरह गिरा देना। इसके लिए…
जो कुछ मनुष्य सच्चाई के साथ और निरंतर भगवान् से चाहता है, उसे भगवान् अवश्य…
जो लोग अपनी आजीविका के लिए तुम पर निर्भर हैं उनके साथ तुम्हें बहुत शिष्ट…