यदि तू यह समझता हो कि पराजय ही तेरा अंत है तो फिर, यदि तू अधिक बलवान हो तो भी, युद्ध करने मत जा। क्योंकि भाग्य को कोई मनुष्य खरीदता नहीं और न शक्ति उस व्यक्ति से बंधी होती है जिसके पास वह होती है। परंतु पराजय ही अंत नहीं है, वह तो महज एक दरवाजा अथवा एक आरंभ है।
संदर्भ : विचारमाला और सूत्रावली
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एक चीज़ के बारे में तुम निश्चित हो सकते हो - तुम्हारा भविष्य तुम्हारें ही…
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