पूर्ण अचेतनता नाम की कोई चीज़ नहीं है – नितान्त अज्ञान जैसी, निपट रात जैसी कोई चीज़ नहीं। समस्त अवचेतनता के पीछे, समस्त अज्ञान के पीछे , रात्रि के पीछे सर्वदा ही परम ‘ज्योति’ विध्यमान है जो सर्वत्र है। अत्यंत छोटी – सी चीज़ भी सम्पर्क स्थापित करने का प्रारम्भ करने के लिए पर्याप्त है ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…