पूर्ण अचेतनता नाम की कोई चीज़ नहीं है – नितान्त अज्ञान जैसी, निपट रात जैसी कोई चीज़ नहीं। समस्त अवचेतनता के पीछे, समस्त अज्ञान के पीछे , रात्रि के पीछे सर्वदा ही परम ‘ज्योति’ विध्यमान है जो सर्वत्र है। अत्यंत छोटी – सी चीज़ भी सम्पर्क स्थापित करने का प्रारम्भ करने के लिए पर्याप्त है ।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…