यदि तुम रोग मुक्त होना चाहते हो तब दो शर्तें हैं। पहला, तुम्हें भय से मुक्त होना होगा, नितान्त निर्भीक, समझते हो न ! और दूसरा, तुम्हें भागवत सुरक्षा में पूर्ण विश्वास रखना होगा । ये दोनों चीजें अनिवार्य हैं ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…