यदि तुम रोग मुक्त होना चाहते हो तब दो शर्तें हैं। पहला, तुम्हें भय से मुक्त होना होगा, नितान्त निर्भीक, समझते हो न ! और दूसरा, तुम्हें भागवत सुरक्षा में पूर्ण विश्वास रखना होगा । ये दोनों चीजें अनिवार्य हैं ।
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…