बुरी चीज़ है दासता, चाहे वह परहेज की दासता हो या आवश्यकताओं की। हमारे पास जो कुछ आये उसे हम ले लें, लेकिन हमेशा इसके लिये भी तैयार रहे कि जब वह जाये तो उसे जाने दें …

संदर्भ : श्रीमाँ के वचन (भाग-२)

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