तुम ज्योतिषियों की बात पर विश्वास ही क्यों करते हो? यह विश्वास ही मुश्किल लाता है।
श्रीअरविन्द कहते हैं कि मनुष्य अपने बारे में जो सोचता है वही बन जाता है।
सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…