ज्ञान है एक ऐसी एकाग्रता जिसकी परिणति एक जीवंत सिद्धि तथा हमारे अंदर तथा सबमें एकमात्र सत्ता की उपस्थिति – जिसके प्रति हम सचेतन हैं – के सतत बोध में हो, योग में ज्ञान तथा ज्ञान के लिए प्रयास से यही हमारा तात्पर्य है।
संदर्भ : योग समन्वय
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…