ज्ञान है एक ऐसी एकाग्रता जिसकी परिणति एक जीवंत सिद्धि तथा हमारे अंदर तथा सबमें एकमात्र सत्ता की उपस्थिति – जिसके प्रति हम सचेतन हैं – के सतत बोध में हो, योग में ज्ञान तथा ज्ञान के लिए प्रयास से यही हमारा तात्पर्य है।
संदर्भ : योग समन्वय
ऐसी आत्माएँ होती हैं जो अपने परिवेश के विरुद्ध विद्रोह करती हैं और ऐसा लगता…
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…