यदि हम अपने जीवंत उदाहरण के द्वारा अपनी सिखायी बातों का सत्य बच्चे को न दिखा दें तो केवल अच्छी बातें कहने और बुद्धिमानी का परामर्श देने का उस पर बहुत थोड़ा प्रभाव पड़ता है। सच्चाई, ईमानदारी, स्पष्टवादिता, साहस, निष्काम-भाव, नि:स्वार्थता, धैर्य, सहनशीलता, अध्यवसाय, शांति, स्थिरता, आत्म-संयम आदि सभी ऐसे गुण हैं जो सुंदर भाषणों की अपेक्षा अनंतगुना अधिक अच्छे रूप में अपने उदाहरण के द्वारा सिखाये जाते हैं ।
संदर्भ : शिक्षा के ऊपर
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…