मेरी सलाह है : चिन्ता न करो। तुम उसके बारे में जितना अधिक सोचते हो उतना अधिक तुम उस पर एकाग्र होते हो, और उससे भी बढ़कर, तुम जितना अधिक डरते हो उतना ही उस चीज को बढ़ने का अवसर देते हो।
इसके विपरीत, अगर तुम अपना ध्यान और अपनी रुचि किसी और चीज की ओर मोड़ दो तो तुम रोगमुक्त होने की सम्भावनाओं को बढ़ाते हो।
सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)
श्रीअरविंद हमसे कहते हैं कि सभी परिस्थितियों में प्रेम को विकीरत करते रहना ही देवत्व…
... सामान्य व्यक्ति में ऐसी बहुत-से चीज़ें रहती हैं, जिनके बारे में वह सचेतन नहीं…
भगवान मुझसे क्या चाहते हैं ? वे चाहते हैं कि पहले तुम अपने-आपको पा लो,…
सूर्यालोकित पथ का ऐसे लोग ही अनुसरण कर सकते हैं जिनमें समर्पण की साधना करने…
एक चीज़ के बारे में तुम निश्चित हो सकते हो - तुम्हारा भविष्य तुम्हारें ही…