हर हालत में अपने गुरु के प्रति निष्ठावान बने रहो, वे चाहे कोई भी क्यों न हों; तुम जितनी दूर तक जा सको वे तुम्हें उतनी दूर तक ले जायेंगे। लेकिन अगर तुम्हें भगवान को ही गुरु के रूप में पाने का सौभाग्य प्राप्त हो तो तुम्हारी उपलब्धि की कोई सीमा न होगी।
संदर्भ : शिक्षा के ऊपर
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…