सभी खिन्नता और विषाद को विरोधी शक्तियाँ ही पैदा करती हैं, उन्हें तुम्हारें ऊपर उदासी फेंक कर जितनी ख़ुशी होती है उतनी और किसी चीज़ से नहीं होती। नम्रता एक चीज़ है और खिन्नता एक दूसरी ही चीज़। नम्रता एक दिव्य गति है और खिन्नता है अन्धकारमयी शक्तियों की बहुत ही अनगढ़ अभिव्यक्ति।
संदर्भ : प्रश्न और उत्तर १९२९-१९३१
क्षण- भर के लिए भी यह विश्वास करने में न हिचकिचाओ कि श्रीअरविन्द नें परिवर्तन…
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…