एक परम चेतना है जो अभिव्यक्ति पर शासन करती हैं। निश्चय ही उसकी बुद्धि हमारी बुद्धि से बहुत महान है। इसलिए हमें यह चिंता नहीं करनी चाहिये कि क्या होगा।

संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-२)

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