जब तुम्हें यह विश्वास हो कि जो जानना बाकी है उसकी तुलना मे तुम जो जानते हो वह कुछ भी नहीं है, जब तुम्हें लगे कि तुमने जो कुछ किया है वह जो कुछ करना बाकी है उसका केवल आरंभ बिंदु है, जब तुम भविष्य को प्राप्त करने योग्य अनंत संभावनाओं से भरे चमकते सूर्य के रूप मे देखो तब तुम युवा हो । तुमने धरती पर चाहे जितने वर्ष बिताये हों तुम युवा और भावी कल की उपलब्धियों से समृद्ध हो।
और अगर तुम नहीं चाहते कि तुम्हारा शरीर तुम्हें धोखा दे तो व्यर्थ की उत्तेजना मे अपनी शक्ति नष्ट करने से बचो। तुम जो भी करो, शांत, स्थिर और प्रकृतिस्थ होकर करो । शांति और नीरवता मे अधिकतम शक्त्ति है।
संदर्भ : शिक्षा के ऊपर
तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…
भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…
अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…
दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…
आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…