प्रायः ही श्रीअरविंद कहते हैं कि व्यक्ति को श्रीमाँ की शक्ति को शासन करने देना चाहिये । क्या इसका यह अर्थ है कि दोनों की शक्तियों में कुछ भेद है ?
केवल एक ही शक्ति है, माताजी की शक्ति – या , यदि तुम इसें यों कहना चाहो, माताजी श्रीअरविंद की शक्ति हैं।
संदर्भ : माताजी के विषय में
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…