माताजी और मैं दो रूपों में एक ही ‘शक्ति’ का प्रतिनिधित्व करते हैं – अतः स्वप्न में देखा हुआ तुम्हारा अंतरदर्शन पूरी तरह से तर्कसंगत था। ईश्वर-शक्ति, पुरुष प्रकृति एकमेव भगवान (ब्रह्मन) के दो पक्ष है।
संदर्भ : माताजी के विषय में
यदि तुम्हारें ह्रदय और तुम्हारी आत्मा में आध्यात्मिक परिवर्तन के लिए सच्ची अभीप्सा jहै, तब…
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये,…
आश्रम में दो तरह के वातावरण हैं, हमारा तथा साधकों का। जब ऐसे व्यक्ति जिनमें…
.... मनुष्य का कर्म एक ऐसी चीज़ है जो कठिनाइयों और परेशानियों से भरी हुई…
अगर श्रद्धा हो , आत्म-समर्पण के लिए दृढ़ और निरन्तर संकल्प हो तो पर्याप्त है।…