मैं सभी बच्चों के साथ एक-सा व्यवहार करने के पक्ष में नहीं हूँ। इससे एक जैसा स्तर तो बन जाता है, यह पिछड़े हुए बच्चों के लिए लाभदायक होता है पर जो सामान्य ऊंचाई से ऊपर उठ सकते हैं उनके लिए हानिकर होता है ।
जो काम करना और सीखना चाहते हैं उन्हें प्रोत्साहन देना चाहिये, लेकिन जो पढ़ाई-लिखाई से कतराते हैं उनकी शक्ति को किसी और दिशा में मोड़ देना चाहिये।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…