श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

एक सा व्यवहार नहीं

मैं सभी बच्चों के साथ एक-सा व्यवहार करने के पक्ष में नहीं हूँ। इससे एक जैसा स्तर तो बन जाता है, यह पिछड़े हुए बच्चों के लिए लाभदायक होता है पर जो सामान्य ऊंचाई से ऊपर उठ सकते हैं उनके लिए हानिकर होता है ।

जो काम करना और सीखना चाहते हैं उन्हें प्रोत्साहन देना चाहिये, लेकिन जो पढ़ाई-लिखाई से कतराते हैं उनकी शक्ति को किसी और दिशा में मोड़ देना चाहिये।

संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड-१७)

शेयर कीजिये

नए आलेख

भगवान के दो रूप

... हमारे कहने का यह अभिप्राय है कि संग्राम और विनाश ही जीवन के अथ…

% दिन पहले

भगवान की बातें

जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…

% दिन पहले

शांति के साथ

हमारा मार्ग बहुत लम्बा है और यह अनिवार्य है कि अपने-आपसे पग-पग पर यह पूछे…

% दिन पहले

यथार्थ साधन

भौतिक जगत में, हमें जो स्थान पाना है उसके अनुसार हमारे जीवन और कार्य के…

% दिन पहले

कौन योग्य, कौन अयोग्य

‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…

% दिन पहले

सच्चा आराम

सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…

% दिन पहले