श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

उचित मनोवृत्ति की शक्ति

. . . ‘ जो हो सकता है उसमें अच्छे-से-अच्छे ‘ की समस्या व्यक्तिगत समस्या है , यह व्यक्ति भले एक मनुष्य हो अथवा एक राष्ट्र । सब कुछ व्यक्तिगत मनोवृत्ति पर निर्भर करता है । यदि जो होने वाला है उसकी परिस्थिति में तुम अपने लिए अधिक-से-अधिक सम्भव ऊंची मनोवृत्ति अपना सको – अर्थात् , यदि तुम अपनी चेतना को अपनी पहुंच की ऊंची से – ऊंची चेतना के सम्पर्क में ला सको तो , पूरी तरह निश्चय रखो , जो होगा वह जो हो सकता है उसमें अच्छे-से -अच्छा होगा । लेकिन जैसे ही तुम उस चेतना से निचले स्तर पर गिर पड़ो वैसे ही जो होगा वह स्पष्टतः अच्छे – से -अच्छा न होगा और कारण स्पष्ट है — तुम अपनी अच्छी – से अच्छी चेतना में नहीं हो । मैं निश्चयपूर्वक यहां तक कह सकती हूं कि हर एक के तात्कालिक प्रभाव के क्षेत्र में उचित मनोवृत्ति में इतनी शक्ति होती है कि वह हर परिस्थिति को लाभदायक बना सके , इतना ही नहीं , वह स्वयं परिस्थिति को बदल सकती है । . . .

अगर तुममें से हर एक अधिक-से-अधिक प्रयास करे तो यह सच्चा सहयोग होगा और परिणाम बहुत अधिक जल्दी आ सकेगा । मैंने उचित मनोवृत्ति की शक्ति के अनेक उदाहरण देखे हैं ।

मैंने देखा है कि अकेले आदमी की उचित मनोवृत्ति के कारण जन समूह महाविपत्ति से बच गये हैं । लेकिन यह ऐसी मनोवृत्ति होनी चाहिये । जो शरीर को अपनी साधारण प्रतिक्रियाओं में छोड़ कर कहीं किन्हीं ऊंचाइयों पर नहीं रहती । अगर तुम इस तरह ऊंचाइयों पर रहा और कहो ” भगवान की इच्छा पूरी हो ” , तो हो सकता है कि इसके होते हुए भी तुम मारे जाओ । क्योंकि हो सकता है कि तुम्हारा शरीर बिलकुल अदिव्य हो और भय से कांपता रहे । जरूरी बात यह है कि सत्य-चेतना को स्वयं शरीर के अन्दर प्रतिष्ठित रखा जाये , जरा भी भय न हो , और सत्ता में भागवत शान्ति भरी हो । तब वास्तव में कोई खतरा नहीं है ।

 

संदर्भ : प्रश्न और उत्तर (१९२९-१९३१)

शेयर कीजिये

नए आलेख

भगवान के दो रूप

... हमारे कहने का यह अभिप्राय है कि संग्राम और विनाश ही जीवन के अथ…

% दिन पहले

भगवान की बातें

जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…

% दिन पहले

शांति के साथ

हमारा मार्ग बहुत लम्बा है और यह अनिवार्य है कि अपने-आपसे पग-पग पर यह पूछे…

% दिन पहले

यथार्थ साधन

भौतिक जगत में, हमें जो स्थान पाना है उसके अनुसार हमारे जीवन और कार्य के…

% दिन पहले

कौन योग्य, कौन अयोग्य

‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…

% दिन पहले

सच्चा आराम

सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…

% दिन पहले