क्या यह सच नहीं है कि मनुष्य को अपनी सारी अशुद्धता जाननी चाहिये?
उन्हें जानना निश्चय ही जरूरी है, लेकिन लगातार उन्हीं पर अपना ध्यान लगाये रखना अच्छा नहीं है; यह चीज उन्हें हटाने में मदद नहीं देती-बल्कि इसके विपरीत होता है।
सन्दर्भ : श्री मातृवाणी (खण्ड-१७)
सबसे पहले हमें सचेतन होना होगा, फिर संयम स्थापित करना होगा और लगातार संयम को…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
पत्थर अनिश्चित काल तक शक्तियों को सञ्चित रख सकता है। ऐसे पत्थर हैं जो सम्पर्क की…