श्रेणियाँ श्री माँ के वचन

अवलोकनों का प्रशिक्षण

तुम्हारा अवलोकन बहुत कच्चा है। ”अन्दर से” आने वाले सुझावों और आवाजों के लिए कोई नियम नहीं बनाया जा सकता । तुम्हारे ”अन्दर” का मतलब कुछ भी हो सकता है । तुम्हें अपने अवलोकन को प्रशिक्षित करना चाहिये और जिन स्तोत्रों से सुझाव आते हैं उन्हें अलग-अलग पहचानने की कोशिश करनी चाहिये । आवाज या सुझाव तुम्हारी अपनी अवचेतना से आ सकते हैं या किसी ज़्यादा ऊंची चीज से । अगर तुम जान सको कि यह कहां से आ रहा है तब तुम फैसला कर सकते हो कि उसका अनुसरण किया जाये या नहीं ।

संदर्भ : माताजी के वचन ( भाग – २ )

शेयर कीजिये

नए आलेख

भगवती माँ की कृपा

तुम्हारी श्रद्धा, निष्ठा और समर्पण जितने अधिक पूर्ण होंगे, भगवती मां की कृपा और रक्षा भी…

% दिन पहले

श्रीमाँ का कार्य

भगवान् ही अधिपति और प्रभु हैं-आत्म-सत्ता निष्क्रिय है, यह सर्वदा शान्त साक्षी बनी रहती है…

% दिन पहले

भगवान की आशा

मधुर माँ, स्त्रष्टा ने इस जगत और मानवजाति की रचना क्यों की है? क्या वह…

% दिन पहले

जीवन का उद्देश्य

अगर चेतना के विकास को जीवन का मुख्य उद्देश्य मान लिया जाये तो बहुत-सी कठिनाइयों…

% दिन पहले

दुश्मन को खदेड़ना

दुश्मन को खदेड़ने का सबसे अच्छा तरीक़ा है उसके मुँह पर हँसना! तुम उसके साथ…

% दिन पहले

आलोचना की आदत

आलोचना की आदत-अधिकांशतः अनजाने में की गयी दूसरों की आलोचना-सभी तरह की कल्पनाओं, अनुमानों, अतिशयोक्तियों,…

% दिन पहले