बहुधा हम उस चीज से चिपके रहते हैं जो थी, हमें पिछली अनुभूति के परिणाम को खोने का डर रहता है, एक विशाल और उच्च चेतना को खोकर फिर से घटिया स्थिति में जा गिरने का डर रहता है। लेकिन हमें हमेशा सामने देखना और आगे बढ़ना चाहिये।
सन्दर्भ : माताजी के वचन (भाग-१)
अधिकतर लोग कार्यों को इसलिये करते हैं कि वे उन्हें करने पड़ते है, इसलिये नहीं…
मधुर माँ, जब श्रीअरविंद चेतना के परिवर्तन की बात करते हैं तो उनका अर्थ क्या…