अनुकम्पा क्षमा, दया का पर्याय है। यह बल और दयालुता से भरपूर दया है, ऐसी दया जो भूलों का परिमार्जन करती और क्षमा करती है, सभी अपराधों को मिटाती है और हमेशा वही चाहती है जो प्रत्येक के लिए अच्छे-से -अच्छा है।
संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड -१७)
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…