श्रीअरविंद धरती पर अतिमासनिक जगत की अभिव्यक्ति की घोषणा करने आये थे और उन्होने इस अभिव्यक्ति की घोषणा ही नहीं की बल्कि अंशत: अतिमानसिक शक्ति को मूर्त रूप भी दिया और अपने उदाहरण से यह दिखलाया कि उसे अभिव्यक्त करने के लिए हमें क्या करना चाहिए। ..
संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-१)
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती…
‘भागवत कृपा’ के सामने कौन योग्य है और कौन अयोग्य? सभी तो उसी एक दिव्य…
सच्चा आराम आन्तरिक जीवन में होता है, जिसके आधार में होती है शांति, नीरवता तथा…