हमारी प्रकृति भ्रांति तथा क्रिया की बेचैन अनिवार्यता के आधार पर कार्य करती है, भगवान अथाह निश्चलता में मुक्त रूप…
हमारी पहली आवश्यकता श्रद्धा है; क्योंकि भगवान में, जगत में और सबसे महत्वपूर्ण यह कि भागवत परम सत्ता में श्रद्धा…
... शुरू से अन्त तक तथा प्रत्येक पग पर श्रद्धा आवश्यक है क्योंकि यह अन्तरात्मा की एक ऐसी अनुमति है…