सांसारिक जीवन का परित्याग करने से पहले साधू बनमालीदास बिहार में जज थे। बाद में उन्होने नर्मदा के तट पर…
एक बार जब गार्गी अपने जन्मदिन पर श्रीमाँ को प्रणाम करने गयी तब वह बोल उठी, "माँ, मैं आपसे सतत…
लुधियाना निवासी महाराज किशन ढंढा श्रीमाँ के भक्त हैं। एक दिन उनके परिवार के कुछ बच्चे खेल रहे थे ।…
श्रीमाँ पुराने वस्त्रों का रफ़ू कराके तथा पैबंद लगवाकर उपयोग करती थी। जो रुमाल फट जाते या आश्रम में इधर-उधर…
मिली पिंटों जब बहुत छोटी थी तभी उनकी माता की मृत्यु हो गई। उनका बचपन बीमारी और उदासी में कटा।…
श्रीअरविंद आश्रम की क्रीड़ाभूमि में सप्ताह में दो बार सामूहिक ध्यान होता है। एक दिन ध्यान से लौटते समय अनिल…