माताजी के वचन भाग-२

शूरता

शूरता है सभी परिस्थितियों में परम सत्य के लिए डटे रह सकना, विरोध में भी उसकी घोषणा करना और जब…

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समता का अर्थ

शारीरिक कठिनाइयां हमेशा समता  सिखाने के पाठ के रूप में आती हैं और यह प्रकट करती हैं कि हमारे अन्दर…

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अहंकार और आत्मा

अहंकार हमेशा यही  सोचता रहता है कि वह क्या चाहता है और उसे क्या नहीं मिला - यही उसकी सतत…

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सहन करना

सहन करना श्रेष्ठ भाव से भरपूर होना है ; इसका स्थान पूर्ण समझ को लेना चाहिये। संदर्भ : माताजी के…

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औरों की भूल

औरों की भूल पर क्रुद्ध होने से पहले तुम्हें अपनी भूलों को याद कर लेना चाहिये। संदर्भ : माताजी के…

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भागवत प्रेम

भागवत प्रेम को जल्दी प्रकट करने का सबसे अच्छा उपाय है, सत्य की विजय में सहायता देना। संदर्भ : माताजी…

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सच्चा आनंद

तुम जो कुछ करो उसमें मज़ा लेने की कोशिश करो । तुम जो कुछ करो उसमें तुम्हें रस हो तो…

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उच्चतम सत्य को जीना

सभी सिद्धान्त,  सभी शिक्षाएं अन्तिम विश्लेषण में बोलने या लिखने के तरीकों से बढ़कर और कुछ नहीं होती । यहा तक…

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एक अनिवार्य अनुशासन

यही कभी न भूलो कि मैं झगड़ों को पसंद नहीं करती और दोनों ही पक्षों को समान रूप से गलत…

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अवसर और कारण

शांत रहो और शांति के साथ विश्वासपूर्वक अपना उत्सर्ग कर दो। जो कुछ होता है वह हमेशा परम प्रभु  की…

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