मैं अत्यन्त बुद्धिशाली, श्रेष्ठ कलाकार लोगों से परिचित थी जो, जैसे ही वे "शिथिल होना" आरम्भ करते, एकदम मूढ़ बन…
चेतना की उच्चतर स्थिति में पहुंचने से पहले एक ऐसी स्थिति आती है जहाँ मनुष्य अपने अन्दर तर्क-शक्ति को-एक स्पष्ट…
क्या तुम्हें नहीं लगता कि इस संसार में कुत्सित वस्तुएँ पर्याप्त हैं और इसकी कोई आवश्यकता नहीं कि कोई व्यक्ति…
एकदम आरम्भ से ही आत्मसमर्पण का पूर्ण होना सम्भव नहीं हैं न? साधारण रूप में नहीं। इसमें थोड़ा-बहुत समय लगता…
यदि मस्तिष्क सर्वदा काम करता रहता है तो रात भर में जो कुछ घटित होता है वह हमें क्यों नहीं…