भगवान ने तुम्हें इसलिए अपना नहीं बनाया है कि तुम मनुष्यों की प्रशंसाओं को एकत्र करो, बल्कि इसलिये बनाया है…
जब तुम अपने-आपको किसी नि:स्वार्थ कार्य की परिपूर्णता के लिये सौंप देते हो तो कभी सामान्य लोगों से प्रशंसा या…
नम्रता चेतना की वह अवस्था है जिसमें तुम्हारी उपलब्धि चाहे जितनी क्यों न हो, तुम्हें यह भान रहता है कि…