जब तुम अधीर हो उठो और अपने-आपसे कहो : “आह, मुझे यह करने में सफल होना चाहिये। लेकिन मैं यह करने में सफल क्यों नहीं होता?” और जब तुम उसे करने में तुरंत सफल नहीं होते और निराश हो जाते हो, तो समय तुम्हारा दुश्मन होता है। लेकिन जब तुम अपने-आपसे कहो : “ठीक है, इस बार मैं सफल नहीं हुआ, मैं अगली बार सफल होऊंगा, मुझे विश्वास है एक-न-एक दिन मैं इसे कर लूंगा” तब समय तुम्हारा मित्र हो जाता है।
संदर्भ : प्रश्न और उत्तर १९५५
... मैं सभी वस्तुओं में प्रवेश करती हूँ, प्रत्येक परमाणु के हृदय में निवास करते…
यदि तुम घोर परिश्रम न करो तो तुम्हें ऊर्जा नहीं मिलती, क्योंकि उस स्थिति में…
प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…
उनके लिये कुछ भी मुश्किल नहीं है जो भगवान को सच्चाई के साथ पुकारते हैं…