श्रेणियाँ अनुभूतियाँ

भागवत कृपा

मां मंदिर श्री अरविंद ग्राम से संबंधित घटना
प्रायः व्यक्ति यह सोचा करता है कि इस संसार की सभी भौतिक वस्तुएं मेरी है इसलिए उनसे संबंध विच्छेद होने या उन्हें अपनी इच्छा अनुसार ना प्राप्त होने पर अपने आप को दुखी महसूस करता है, किंतु यह कभी नहीं सोचता कि मैं खुद अपनी वस्तु नहीं हूं । हम सभी संसार की अन्य वस्तुओं की तरह ईश्वर की वस्तु है इसीलिए अपने आप को ईश्वर को समर्पित कर ईश्वर का कार्य समझ कर निस्वार्थ भाव से करते जाना चाहिए। जो व्यक्ति ऐसा करते है, उनका इस संसार में सचमुच ही कोई कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता क्योंकि भगवान उनकी स्वयं रक्षा करता है। उदाहरणार्थ, प्रहलाद को होलीका जलाने में असमर्थ रही और वह स्वयं जल गई। द्रौपदी चीरहरण में द्रौपदी की लाज बच गई और अंत में दुर्योधन का विनाश हो गया। ऐसे ही एक छोटी सी घटना मां मंदिर श्रीअरविंद ग्राम में घटित हुई जो अविस्मरणीय है।
दिनांक ३० दिसंबर १९८१ को संध्या समय मां मंदिर में श्री त्रियुगीनारायण विद्युत पंप द्वारा फूलों की सिंचाई कर रहे थे वो अपने कार्य में आत्मसात हो चुके थे। वहां ८ फीट लंबी एक नाली ऐसी है जो सड़क के भीतर से गुजरती है। यह ३ फीट मोटी सीमेंट की अंडरग्राउंड नाली है जिससे होकर पानी मंदिर के सामने पहुंचता है लेकिन उस दिन उस नाली से पानी बाहर ना निकलने के कारण वे यह सोच कर कि शायद नाली में कूड़ा-करकट, फंस गया होगा में पूरा हाथ डाला किंतु कूड़ा-करकट नहीं मिला। तब उन्होंने एक बांस लेकर उस नाली में डाला तो दो मोटे और लंबे लंबे सांप निकले जो नाली को पूरी तरह से बंद किए हुए थे। लेकिन उन्होंने श्रीत्रियुगीनारायण को नहीं काटा। इस घटना को देखकर वहां के सभी लोग चकित रह गए।
निश्चय ही जहां पर भगवान की कृपा होती है वहां पर व्यक्ति चकित ही रह जाता है क्योंकि वह उसके समझ के बाहर की वस्तु होती है।
आलेख : रामानन्द पटेल द्वारा  (श्रीअरविंद कर्मधारा से साभार)
टीप : उपर्युक्त प्रसंग का अँग्रेजी अनुवाद पढ़ने के लिए देखिये :
शेयर कीजिये

नए आलेख

भावना

अगर तुम सचमुच भगवान से प्रेम करते हो तो इसे चुपचाप और शांत रहकर प्रमाणित…

% दिन पहले

तेरी नयी अभिव्यक्ति

... मैं सभी वस्तुओं में प्रवेश करती हूँ, प्रत्येक परमाणु के हृदय में निवास करते…

% दिन पहले

परिश्रम और ऊर्जा

यदि तुम घोर परिश्रम न करो तो तुम्हें ऊर्जा नहीं मिलती, क्योंकि उस स्थिति में…

% दिन पहले

दासता

बुरी चीज़ है दासता, चाहे वह परहेज की दासता हो या आवश्यकताओं की। हमारे पास…

% दिन पहले

प्रेम और स्नेह की प्यास

प्रेम और स्नेह की प्यास मानव आवश्यकता है, परंतु वह तभी शांत हो सकती है…

% दिन पहले

कुछ भी मुश्किल नहीं

उनके लिये कुछ भी मुश्किल नहीं है जो भगवान को सच्चाई के साथ पुकारते हैं…

% दिन पहले