
अतिमानस की स्थायी उपस्थिती
जब अतिमानस दैहिक मन में अभिव्यक्त होगा, केवल तभी उसकी उपस्थिती स्थायी हो सकती है । संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)
जब अतिमानस दैहिक मन में अभिव्यक्त होगा, केवल तभी उसकी उपस्थिती स्थायी हो सकती है । संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)
भय और संकोच के बिना, हमेशा अधिक ऊंचे, अधिक दूर तक उड़ो! आज की आशाएं भावी कल की उपलब्धियां हैं। सन्दर्भ : माताजी के वचन...
नींद ऐसा विद्यालय है जिसमें से मनुष्य को गुजरना पड़ता है अगर वह यह जानता है कि वहां अपने पाठ को कैसे सीखा जाये, ताकि...
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये, तुम्हें उसका सामना साहस, शान्ति, भरोसे और इस निश्चिति के...
परम शक्ति सभी गतिविधियों को हाथ में ले रही है। वह उन्हें सत्य में बदल देगी। किसी प्रयास की जरूरत नहीं, मन से या किसी...
जो अपने हृदय के अन्दर सुनना जानता है उससे सारी सृष्टि भगवान् की बातें करती है । संदर्भ : माताजी के वचन (भाग-३)
जब शारीरिक अव्यवस्था आये तो तुम्हें डरना नहीं चाहिये, तुम्हें उससे निकल भागना नहीं चाहिये, तुम्हें उसका सामना साहस, शान्ति, भरोसे और इस निश्चिति के...
मेरी सलाह है : चिन्ता न करो। तुम उसके बारे में जितना अधिक सोचते हो उतना अधिक तुम उस पर एकाग्र होते हो, और उससे...
मैं अनुभव करता हूं कि मैं निष्फल भाग्य के साथ जन्मा आपका शून्य बालक हूं; ऐसे बालक के लिए जीवन में सम्पादित करने के लिए...
तुम ज्योतिषियों की बात पर विश्वास ही क्यों करते हो? यह विश्वास ही मुश्किल लाता है। श्रीअरविन्द कहते हैं कि मनुष्य अपने बारे में जो...