आश्रम में रहना पर्याप्त नहीं
नहीं, आश्रम में रहना पर्याप्त नहीं है – व्यक्ति को श्रीमाँ के प्रति उद्घाटित होना होगा और उस कीचड को अपने ऊपर से साफ करना...
नहीं, आश्रम में रहना पर्याप्त नहीं है – व्यक्ति को श्रीमाँ के प्रति उद्घाटित होना होगा और उस कीचड को अपने ऊपर से साफ करना...
… बहुत कठोर युक्ति-तर्कवाले लोग तुमसे कहते हैं : “तुम प्रार्थना क्यों करते हो? तुम अभीप्सा क्यों करते हो? तुम मांगते क्यों हो? भगवान् जो...
इस विषय में निस्संदिग्ध रहो कि तुम्हें इस पथ पर ले जाने के लिये माताजी सदा तुम्हारें साथ रहेगी। कठिनाइयाँ आती हैं और चली जाती...
अपनी सभी गतिविधियों में संकल्प के पूर्ण समर्पण के माध्यम से भागवत उपस्थिती तथा शक्ति के साथ अपनी आत्मा का एकत्व स्थापित करना कर्मयोग के...
परिस्थितियाँ अवसर भले हों पर निश्चित रूप से, कारण नहीं हो सकती । कारण ‘भागवत’ इच्छा में है और उसे कुछ भी नहीं बदल सकता ।...
चूंकि मेरी प्रकृति कमजोर है इसलिए साधारण चीजों को त्यागना कठिन हो जाता है। लेकिन, यह निश्चित है कि मैं केवल आपको ही चाहता हूँ।...
हमारा लक्ष्य है अपनी सत्ता की पूर्णता को चरितार्थ करना और मानव पशु को भागवत मनुष्य में बदल देना । मेरे आशीर्वाद सहित । संदर्भ...
शांत रहो और देखो। परिणाम निश्चित है – उपाय और समय निश्चित नहीं है । आशीर्वाद | संदर्भ : श्रीमातृवाणी (खण्ड -१६)
हमारी भूल यह हुई है और बराबर ही रही है कि हम अज्ञानी जीवन की बुराइयों से बचने के लिये एक उपाय के रूप में...
तुम बहुत बुद्धिमान होते जा रहे हो और इस उपलब्धि के नजदीक आते जा रहे हो कि हम कुछ नहीं है, हम कुछ नहीं जानते,...