
मुक़द्दमे के विचित्र जीव
मुक़द्दमे का स्वरूप कुछ विचित्र था। मजिस्ट्रेट, परामर्शदाता, साक्षी, साक्ष्य Exhibits (साक्ष्य-सामग्री), आसामी सभी विचित्र। दिन-पर-दिन उन्हीं गवाहों और Exhibits का अविराम प्रवाह, उसी परामर्शदाता...
मुक़द्दमे का स्वरूप कुछ विचित्र था। मजिस्ट्रेट, परामर्शदाता, साक्षी, साक्ष्य Exhibits (साक्ष्य-सामग्री), आसामी सभी विचित्र। दिन-पर-दिन उन्हीं गवाहों और Exhibits का अविराम प्रवाह, उसी परामर्शदाता...
पन्द्रह-सोलह दिन की बन्दी अवस्था के बाद स्वाधीन मनुष्य-जीवन का संसर्ग और एक-दूसरे का मुख देख दूसरे कैदी अत्यन्त आनन्दित हुए ।गाडी में चढ़ते ही...
इस अवस्था को घनीभूत होने में कुछ दिन लगे, इसी बीच मजिस्ट्रेट की अदालत में मुक़द्दमा शुरू हुआ। निर्जन कारावास की नीरवता से हठात् बाह्य...
मेरे निर्जन कारावास के समय डाक्टर डैली और सहकारी सुपरिंटेंडेंट साहब प्रायः हर रोज़ मेरे कमरे में आ दो-चार बातें कर जाते। पता नहीं क्यों,...
अगले दिन सवेरे सवा चार बजे जेल की घण्टी बजी। कैदियों को जगाने के लिए यह पहली घण्टी थी। कुछ मिनट बाद दूसरी बजती, इसके...
कारावास का पहला दिन शान्ति से कट गया। सभी कुछ था नया, इससे मन में स्फूर्ति जगी। लालबाज़ार की हवालात से तुलना करने पर इस...
कम्बल, थाली-कटोरी का प्रबन्ध कर जेलर के चले जाने पर कम्बल पर बैठ मैं जेल का दृश्य देखने लगा। लालबाज़ार की हवालात की अपेक्षा यह...
नहाने की व्यवस्था से पीने के पानी की व्यवस्था और भी निराली थी। गर्मी का मौसम, मेरे छोटे-से कमरे में हवा का प्रवेश लगभग निषिद्ध...
गृह-सामग्री में और भी चीजें थीं: एक नहाने की बाल्टी, पानी रखने को एक टीन की नलाकार बाल्टी और दो जेल के कम्बल। स्नान की...